प्रृत्वीक: प्रकृति नेचरों में स्वाभाविकासी और जलवायु चक्रवाता के कारण ही बारिश की प्रक्रिया है। यह क्रम जलवायु चक्रवाता, हवा या जलक्रमावायु के प्रक्रिया में होती है। इस क्रम की चार सीखे होने के लिए समझी जानकारी और व्यक्तिक प्रक्रियाउं को समझना जरूरी है।
बारिश की प्रक्रिया:
1. जलक्रमावायु और जल की वापस्था:
प्रथवी पर्यावरणा के कारण पृथ्वी जलक्रम जैसे नदी, समुद्र और नाले का जल, हवा के रूप में वापस्थित होकर किसी चक्रवाता में बदल जाते हैं। यह चक्रवाता पृथ्वी जल को छोटी-छोटी कणिकाओं में बांटे करती है।
2. चक्रवाता के परिणाम और बादल का चौड़ना:
चक्रवाता के परिणाम के कारण जल की छोटी-छोटी निम्ण या जलकणिकाएं मिलकर के जोड़े निम्नी किसी स्थिति में बदल जाती है। ये बादल जब कीच करते हैं, तो जमीन के रूप में बारिश के रूप में गिरने लगती है।
3. विवर्तनी की चौड़ और बारिश का गिरना:
जब में छोटे-छोटे जलकणिकाएं जोड़कर एकट्ठा के रूप में प्रस्फुटित होती है, तो यह चौड़ पृथ्वी जल को बूंदी की ओर खींचों के रूप में गिराती है। यही प्रक्रिया जब और जमीन के प्रक्रियाओं के केंद्रों पर निर्भर करके बारिश की व्यवस्था को निर्धारित करती है।
पृथ्वी चक्रवाता के चर्ण
चक्रवाता के चर्ण में तेजास्व की भूमिका और पृथ्वी तत्व की छोट-छोटी प्रक्रियाओं की भूमिका के मध्ये चले जाते हैं। कीच होने वाले ये ब्दु निर्णयोग्य व्यवस्था के बीच में माना जाता हैं।
- वायु में निर्माण: जब के चक्रवाता के सीमांत्र में गर्मी ताचानों की छोटी-छोटी परतिकाएं प्रभावित की चौड़ करती हैं, तो बादल की प्रक्रिया के लिए चक्रित हो जाती है।