प्राकृतिक परिवर्तन और वातावरण में होने वाले विभिन्न बदलावों को मौसम कहा जाता है। मौसम का सीधा असर हमारे जीवन पर पड़ता है और यह विभिन्न ऋतुओं के रूप में साल भर बदलता रहता है। ऋतुएं वे निश्चित समय होते हैं, जब मौसम में कुछ विशेष बदलाव आते हैं और पृथ्वी पर स्थित विभिन्न स्थानों का मौसम विशिष्ट तरीके से बदलता है। भारत में चार प्रमुख ऋतुएं होती हैं: गर्मी, मानसून, शीतलहर और शरद ऋतु। इन ऋतुओं का जीवन, कृषि और पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इस लेख में हम मौसम, उसकी प्रकार, और भारतीय ऋतुओं के बारे में विस्तार से जानेंगे।
मौसम क्या है?
मौसम वह स्थिति है, जिसमें हवा, तापमान, आर्द्रता, वर्षा, बादल और अन्य प्राकृतिक तत्व एक निश्चित स्थान पर समय के साथ बदलते रहते हैं। मौसम में यह सभी बदलाव बहुत तेजी से होते हैं और यह किसी स्थान विशेष के पर्यावरणीय प्रभावों पर निर्भर करते हैं। मौसम मुख्यतः दिन-प्रतिदिन और कुछ समय में घटित होता है। यह वैश्विक जलवायु, समुद्र, आकाश और भू-भाग के कारण बदलता रहता है। इसके कारण हमारे शरीर, खेती, आर्थिक गतिविधियां और पर्यावरण पर प्रभाव पड़ता है।
ऋतुएं और उनका महत्व
भारत में चार मुख्य ऋतुएं होती हैं:
- गर्मी (गर्मियों) का मौसम (Summer Season): यह ऋतु मार्च से लेकर जून तक रहती है। गर्मी के मौसम में सूर्य की तीव्रता बढ़ जाती है और तापमान काफी बढ़ जाता है। भारत के विभिन्न हिस्सों में गर्मी के मौसम में उच्चतम तापमान 40°C से भी ऊपर चला जाता है। इस समय में शरीर को जलवायु के कारण अधिक पसीना आता है और इसे झेलने के लिए लोग हल्के कपड़े पहनते हैं। गर्मी में पानी की कमी और सूखा जैसी समस्याएँ भी उत्पन्न होती हैं।गर्मी के मौसम का प्रभाव कृषि पर भी पड़ता है। अधिक गर्मी की वजह से पानी की आवश्यकता बढ़ जाती है और फसलों को उगाने के लिए अधिक ध्यान रखना पड़ता है। इसके अलावा, यह मौसम आमतौर पर छुट्टियों के दौरान होते हैं, जब बच्चे और परिवार गर्मी से बचने के लिए पहाड़ों या समुद्र तटों की यात्रा करते हैं।
- मानसून (वर्षा) का मौसम (Monsoon Season): यह मौसम जून से सितंबर तक रहता है। मानसून में भारत में भारी वर्षा होती है, जो कृषि के लिए अत्यधिक लाभकारी होती है। इस समय में समुद्र से हवाएँ उठती हैं और वे बादलों के रूप में वर्षा लाती हैं। मानसून की वर्षा भारत की कृषि का मुख्य आधार है, क्योंकि लगभग 60% से अधिक फसलें मानसून पर निर्भर करती हैं।मानसून का प्रभाव भारत के सामाजिक और आर्थिक जीवन पर बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह मौसम न केवल खेती को उपजाऊ बनाता है, बल्कि यह जल आपूर्ति की समस्याओं को भी हल करता है। हालांकि, कभी-कभी अत्यधिक बारिश के कारण बाढ़ जैसी समस्याएँ भी उत्पन्न हो जाती हैं, जो जनजीवन को प्रभावित करती हैं। मानसून में आर्द्रता (humidity) का स्तर भी बहुत बढ़ जाता है, जिससे वातावरण गर्म और चिपचिपा हो जाता है।
- शरद ऋतु (Autumn Season): शरद ऋतु सितंबर से नवंबर तक रहती है। यह मौसम वर्षा के बाद आता है और गर्मी और मानसून के प्रभावों के बीच का समय होता है। शरद ऋतु में तापमान धीरे-धीरे ठंडा होने लगता है और आकाश साफ दिखाई देता है। इस मौसम में न केवल वातावरण शीतल होता है, बल्कि यह फसलों की कटाई के समय भी होता है।शरद ऋतु में वृक्षों से पत्तियाँ गिरने लगती हैं और वातावरण की ताजगी वातावरण को आनंदमय बनाती है। यह मौसम किसानों के लिए भी लाभकारी होता है, क्योंकि इस समय में अधिकतम फसलें पककर तैयार हो जाती हैं और उनका संग्रहण शुरू हो जाता है। शरद ऋतु में जलवायु संतुलित होती है और यह समय भारतीय त्योहारों जैसे दीपावली, दुर्गा पूजा आदि का भी होता है, जो सामाजिक रूप से महत्त्वपूर्ण होते हैं।
- शीतलहर (सर्दी) का मौसम (Winter Season): शीतलहर या सर्दी का मौसम दिसंबर से फरवरी तक रहता है। इस समय में तापमान काफी गिर जाता है और ठंड का प्रकोप बढ़ जाता है। सर्दी के मौसम में अधिकतर उत्तरी भारत और पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी होती है, जबकि अन्य हिस्सों में ठंडी हवाएँ चलती हैं।शीतलहर का मौसम मानव जीवन के लिए एक चुनौतीपूर्ण समय होता है, क्योंकि ठंड से बचने के लिए विशेष प्रकार के कपड़े पहनने पड़ते हैं और जलवायु में इस बदलाव के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ बढ़ जाती हैं। हालांकि, यह समय शहरी क्षेत्रों में आरामदायक रहता है और यह पर्वतीय क्षेत्रों के पर्यटन के लिए भी उपयुक्त होता है।सर्दी में कृषि के क्षेत्र में भी ध्यान देने योग्य बदलाव आते हैं। शीतलहर में कुछ फसलें जैसे गेंहू और जौ की बुवाई के लिए उपयुक्त होती हैं। ठंडी हवाओं के कारण जलवायु संतुलित होती है, जिससे शुद्ध हवा और ताजगी मिलती है।
मौसम का प्रभाव और बदलते हुए मौसम पैटर्न
वर्तमान समय में, मौसम पैटर्न में भारी बदलाव आ रहे हैं, जिन्हें ‘ग्लोबल वॉर्मिंग’ (वैश्विक उष्मीकरण) और ‘जलवायु परिवर्तन’ कहा जाता है। बढ़ते हुए औद्योगिकीकरण और मानवीय गतिविधियों के कारण वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की अधिकता बढ़ गई है, जिससे पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है। इसके परिणामस्वरूप मौसम में बदलाव, अधिक अत्यधिक गर्मी, असामान्य वर्षा, और अचानक बर्फबारी जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं।
निष्कर्ष
मौसम और ऋतुएं प्रकृति का अभिन्न हिस्सा हैं और इनका हमारी जीवनशैली, खेती और पर्यावरण पर गहरा असर पड़ता है। हर ऋतु का अपना महत्व और प्रभाव होता है। हालांकि, आजकल जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण मौसम पैटर्न में बदलाव आ रहे हैं, जिसके कारण हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करना और पर्यावरण को बचाना अत्यंत आवश्यक हो गया है। इसके लिए हमें जलवायु के प्रति जागरूकता बढ़ाने और पर्यावरणीय संकटों से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।